Sunday, December 26, 2010

लहरों को खामोश देखकर ये मत समझाना की समंदर में रवानी नहीं है,

लहरों को खामोश देखकर ये मत समझाना की समंदर में रवानी नहीं है,
हम जब भी उठेंगे तूफा बन कर उठेंगे, बस अभी उठने की ठानी नहीं है. //
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया हमपर किसी खुदा की इनायत नहीं रही,
हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग रो-रो के बात कहने कि आदत नहीं रही। // 

लोग रूठ जाते हैं मुझसे
और मुझे मानना नहीं आता
मैं चाहता हूँ क्या
मुझे जाताना नहीं आता
आंसुओं को पीना पुरानी आदत है
मुझे आंसू बहाना नहीं आता
लोग कहते हैं मेरा दिल है पत्थर का
इसलिए इसको पिघलाना नहीं आता
अब क्या कहूं मैं
क्या आता है, क्या नहीं आता
बस मुझे मौसम की तरह
बदलना नहीं आता / ........

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