सुन ! ऐ जिंदगी
मै तुमको बताना चाहता हूँ
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
देख लिया तेरे साथ चलकर
तन्हा चलता आया हूँ
कोई भी तो साथ न आया
भीड़ में जलता आया हूँ
जब से जाना है
तन्हाई के आलम को
उसके हर रूप का दीवाना हूँ
तू तो न बना पाया अपना मुझको
मै उसका कल से दीवाना हूँ
तेरा जहाँ -ए - दस्तूर
तुझको मुबारक,
जहाँ हर कदम पे
धोखा है
कहने को तो हर कोई साथ है
पर हर पल आदमी अकेला है
सुन ! ऐ जिंदगी
मै तुमको बताना चाहता हूँ
साथ तो तुम भी चले थे
अब मै तुझे साथ का मतलब बताना चाहता हूँ
जैसे उड़े पतंग डोर क संग
जैसे रहे बिरहन यादो के संग
जैसे लगे नयन
सपनो के संग
वैसे ही रहे तन्हाई अब मेरे संग,
सुन ! ऐ जिंदगी
मै तुमको बताना चाहता हूँ
छोड़ दे तू साथ मेरा
मै तुझसे दूर जाना चाहता हूँ
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने प्यार से इसे अनुग्रहित करे
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