Monday, December 20, 2010

जितने मुखबिर थे वो अखबारों के मालिक हो गए

जो दरबदर थे वो दिवारों के मालिक हो गए...
मेरे सब दरबान दरबानों के मालिक हो गए...
लफ्ज़ गूंगे हो चुके...तहरीर अंधी हो चुकी...
जितने मुखबिर थे वो अखबारों के मालिक हो गए..

 इंडियन  ग्रोव्थ
बोफोर्स घोटाला- 64 करोड़ रुपए
यूरिया घोटाला- 133 करोड़ रुपए
चारा घोटाला- 950 करोड़ रुपए
शेयर बाजार घोटाला- 4000 करोड़ रुपए
सत्यम घोटाला- 7000 करोड़ रुपए
स्टैंप पेपर घोटाला- 43 हजार करोड़
रुपए
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला- 70 हजार
करोड़ रुपए
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला- 1 लाख 67 लाख
करोड़ रुपए
अनाज घोटाला- 2 लाख करोड़ रुपए
(अनुमानित)। दायित्व सब पर है मगर क्या राजनेता हद नहीँ कर रहे, जिनके हाँथो मेँ अधिकार हैँ, जिनके हवाले जनता ने भरोसा कर के देश की तिज़ोरी की चाबी की है??

                                             ..................... सुनील 

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